.मित्र अकल्पित रुप से किसी शुभ घडी में जीवन में अवतरित हो जाता है और
जीवन यात्रा के संकट उसके आ जाने से कम हो जाते हैं । और कभी ऐसी घटना घटित
होती है कि जीवन की नॉव डगमगानें वाली थी , मान- गुमान नदी की धारा में बह
जाने वाले थे , अकस्मात् अलक्ष्य जन्मा मित्र का उदय उसी धारा में हो
गया , मित्र के प्रताप से धारा ही सूख गयी । महाभारत की कथा में युवराज
सुयोधन के लिए कर्ण ऐसा ही मित्र बनकर आया था । आचार्य द्रोण रंगभूमि में
राजकुमारों के अस्त्र शस्त्र का
प्रदर्शन राजपरिवार तथा संभ्रान्त प्रजाजनों के समक्ष करा रहे थे । जब
पाण्डु -पुत्र राजकुमार अर्जुन ने अपने बाणों से आग ,पानी बरसाने का
,बादलों के छाने ,हवा से उनके उड़ जाने का ,गगन को बाणों से आच्छादित कर
देने आदि के अनेक कौशल दिखाये तब घृतराष्ट्र -पुत्र सुयोधन अपने में तथा
भाइयों में इस वीरता का अभाव जानकर कातर हो उठा । थोड़ी ही देर में आचार्य
द्रोण ने घोषित किया ,हमें गर्व है कि कुन्ती पुत्र आज संसार का
सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर है । इस घोषणा के समाप्त होते ही एक दूसरा राजकुमार
सूत पुत्र कर्ण रंग मंच पर अपने आप आ गया , उसने कहा आचार्य ऐसी घोषणा न
करें ,अर्जुन की समानता मैं कर सकता हूॅ मुझे इसका अवसर दिया जाये । रंगसभा
अवसन्न हो गयी , सब की दृष्टि कर्ण की ओर लग गयी । संघर्ष का टालना
अनिवार्य हो गया , अन्यथा रंग में भंग ही होने जा रहा था । लेकिन दूसरी ओर
सुयोधन की दीनता दूर हो गयी , प्रफुल्लित होकर कर्ण के निकट आ गया । तब तक
किसी ने कहा कर्ण --तुम सूत पुत्र हो ,अर्जुन राजकुमार है । राजकुमार से
सामना करने का अधिकार राजपुत्र को ही है ,तुमको नहीं । सुयोधन ने तत्काल
कहा यदि ऐसी बात है तो कर्ण को अंग देश का राजा बनाता हूॅ और राजमुकुट पहना
रहा हूॅ ,इतना कहकर उसने कर्ण के मस्तक पर राजमुकुट रख दिया ,उसके
साथियों ने जय घोष किया अंगराज कर्ण की जय । संघर्ष टालने के लिए रंग भूमि
विसजिर्त कर दी गयी । इसके साथ ही सुयोधन की अटूट मैत्री का अनोखा जन्म उस
घ्ाटना के बीच हो गया । --------पूज्य डॉ0 जयशंकर त्रिपाठी
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मंगलवार, 9 अगस्त 2016
मंगलवार, 2 अगस्त 2016
आपकी अपनी हिन्दी साहित्य की त्रैमासिक पत्रिका करुणावती साहित्य धारा ने अपने प्रकाशन के सफलतापूर्वक चार वर्ष सितम्बर ,२०१६ में पूर्ण करने पर इसमें निरंतर अपनी लेखनी के माध्यम और इसके प्रचार-प्रसार में सहयोग देने हेतु अपने रचनाकारों को एवं सहयोगियों को सम्मानित करने का निर्णय लिया है । अपने रचनाकारों को सम्मानित कर करुणावती साहित्य धारा परिवार स्वयं को गौरान्वित महसूस करेगा । रचनाकारों को पूज्य पंण्डित डॉ० जयशंकर त्रिपाठी जी की पुण्य तिथि कार्यक्रम में सम्मानित किया जायेगा । विगत वर्षों की भॉति इस वर्ष भी पुण्य तिथि कार्यक्रम ७ सितम्बर २०१६ को इलाहाबाद में ही सम्पन्न होगा । किन्हीं कारणों से कार्यक्रम की तिथि बदलने पर आपको उपलब्ध संसाधनों / माध्यमों से सूचित किया जायेगा । सम्मानित रचनाकारों एवं सम्मानित सहयोगियों के नामों का चयन करुणावती साहित्य परिवार ने किया है । सम्मानित रचनाकार है :- आदरणीय कमलेश भटट कमल, डॉ० गिरिजाशंकर शास्त्री ,श्री दिनेश कुशभुवनपुरी , श्रीमती रचना व्यास, श्री कामता प्रसाद तिवारी ,श्रीमती विभारानी श्रीवास्तव , श्रीमती रंजना सिंह , श्रीमती संगीता सिंह 'भावना', डॉ० ललित भारतीया ,श्री ए० के० उपाध्याय ,श्री दिनेश बहादुर सिंह,श्री दिनेश पारीक, सुश्री सफलता सरोज ,सुश्री शिप्रा त्रिपाठी , श्री रवीन्द्र कुमार त्रिपाठी ,श्रीमती अल्का गुप्ता , श्री सुरेश सक्सेना , श्री मुकेश कुमार सिन्हा, श्रीमती प्रियंवदा अवस्थी ,डॉ०मोना दुबे , श्री पद्मसम्भव श्रीवास्तव ,श्री पंकज जोशी , श्री विनोद कुमार उपाध्याय , । आप सभी सम्मानित होने वाले रचनाकार दिनॉक ०७/९/२०१६ को इलाहाबाद सादर आमंत्रित हैं । कार्यक्रम में आपकी उपस्थिति हमारे लिए गौरव एवं सम्मान की बात है । .......................................................................पूजा त्रिपाठी ,प्रबन्ध व्यवस्थापक एवं संयोजक 'करुणावती साहित्य धारा^
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